शनिवार, 2 मई 2009

अमिताभ बच्चन; एक खोखला व्यक्तित्व

अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा की उनको बहुत दुःख हुआ, इस बात को लेकर की धूनी ने देश का सम्मान न लेकर पुरे देश का अपमान किया है। सच में उनके इस घोर दुःख से देश दुखी हो या न हो लेकिन मैं दुखी जरूर हूँ इनके खोखले व्यक्तित्व को देख कर । जब ये उत्तर प्रदेश को एक उत्तम प्रदेश कह रहे थे तब इनकी अंतरात्मा को दुःख नही हुआ। की वंहा की दुर्दशा क्या है । तब तो ये पैसे ले कर टी वी पर प्रचार किए जा रहे थे। और आज जब धूनी अपनी जवानी को भुना रहा है तो ये महाशय कहते हैं की इनको दुःख हुआ। और जब मुंबई पर तेररोरिस्त का हमला हुआ तब तो इनको अपनी ही जान की पड़ी थी, बाबु साहब पिस्टल तकिया के अन्दर रखकर सो रहे थे। तब देश के लिए इनकी अंतरात्मा को दुःख नही हुआ। तब दरवाजे के बाहर भी नही निकल सके की जनता को सांत्वना दे सकें। कम से कम ऐश्वर्या से ही खुस हो लेना चाहिए।

और इस सरकार को क्या कहें जिन्हें कुछ देना चाहिए उनको ये जानते ही नही, वे तो बेचारे भूखें मर गए। बिस्मिल्ला खान, एक महान सक्सियत जिनको अवार्ड दिया पर खाना देना हुआ तो किनारा कर लिया । वे बेचारे मर गए, अवार्ड के साथ। अब धूनी को भी ये सरकार वाले मारने की योजना बना रहें हैं। वो बेचारा कमा रहा है, जब देखो अवार्ड थमाने (देने) लागतें हैं ।


वर्तमान डरावना है

वर्तमान से हमें डर लगता है। क्यों कि वर्तमान में मुश्किलें होती हैं। वर्तमान में ही निर्यण लेना होता है। हम ऐसा सोचते हैं कि मीठा नही खायेंगे, ये तो भविष्य कि बातें हैं । पर जन्हा वर्तमान आया कि हम गिर पड़े। मीठा सामने आया कि हम सारे प्लान बगल रखकर मीठा खा लेतें हैं। ये भी सोचतें हैं कि जब जवान थे या पढ़ाई किया करते थे तो इन्द्रियों पर बहुत नियंत्रण था। पर अब् सब कुछ बेकार हो गया। ये भी भूत कि बातें हैं। भूत और वर्तमान से हमारी विल पॉवर नही बढ़ सकती। क्योंकि यहाँ पर निर्यण लेने कि शक्ति का कोई रोल नही है। वर्तमान में तो निर्णय लेने की शक्ति को अपनी कर्यछ्मता दिखानी पड़ती है। संभवतः इसलिए वर्तमान में दुःख की अनुभूति ज्यादा होती है ।