मंगलवार, 18 जून 2013

On mind

सुरक्षा खोजने वाला मन यथार्थ को, सत्य को नहीं पा सकता है। जो समय से परे है, उसे समझने के लिए, विचार के जाल का ध्वस्त होना अनिवार्य है। शब्दों, प्रतीकों, प्रतिमाओं के बिना विचार बना नहीं रह सकता केवल तब, जब मन खामोश होता है, अपनी उधेड़बुन से मुक्त होता है, तभी यथार्थ को खोज पाने की संभावना होती है।